Rajasthani - Muhawarein
अ-अः
- अकल बिना ऊंट उभाणा फिरैं ।
- अगम् बुद्धि बाणिया पिछम् बुद्धि जाट ...बामण सपनपाट ।
- आंध्यां की माखी राम उडावै ।
- आसोजां का पड्या तावडा जोगी बणग्या जाट ।
- ऊन'रै को जायेड़ो बिल ही खोदै ।
क-घ
- क ख ग घ ड़, काको खोटा क्यों घडै ।
- कपूत हूँ नपूत भलो ।
- कर रै बेटा फाटको, खड्यो पी दूध को बाटको ।
- काणी के ब्याह में सो टेड ।
- काम का ना काज का ... ढाई मण अनाज का ।
- कौड़ी बिन कीमत नहीं सगा नॅ राखै साथ, हुवै जे नामों (रूपया) हाथ मैं बैरी बूझै बात।
- खरी कमाई घणी कमाई ।
- खेती करै नॅ बिणजी जाय, विद्या कै बल बैठ्यो खाय ।
- गादड़ै की मोत आवै जणा गांव कानी भागै।
- गोदी मैं छोरो गळी मैं हेरै ।
- घी सुधारै खीचड़ी, और बड्डी बहू का नाम ।
- घैरगडी सासू छोटी भू बडी ।
च-झ
- च्यार चोर चौरासी बाणिया, बाणिया बापड़ा के करँ ।
- छड़ी पड़ै छमाछम, विद्या आवै धमाधम।
- ज्यादा स्याणु कागलो गू मैं चांच दे ।
- जाओ लाख रैवो साख, गई साख तो बची राख ।
- जंगल जाट न छोड़िये,हाटां बीच किराड़। रांगड़ कदे न छोड़िये,ये हरदम करे बिगाड़।।
- जमीन ऍर जोरु जोर की नहीं तो कोई और की।
- जाट जंवाई भाणजो, रेवारींरु सुनार । ऐता नहीं है आपणा, कर देखो उपकार ।।
- जाट बलवान जय भगवान ।
- जाट मरा जब जानिये जब चालिसा होय ।
- जैं करी सरम, बैंका फूट्या करम ।
- जो गुड़ सैं मरै बी'नै जहर की के जरुरत।
ट-ढ
- डाकण बेटा ले क दे ।
त-न
- तीज त्यौहारां बावड़ी, ले डूबी गणगौर।
- दियो लियो आडो आवै ।
- दूसरे की थाळी मँ घी ज्यादा दीखॅ।
- दूसरे की थाळी में सदा हि ज्यादा लाडू दीखैं ।
- धन्ना जाट का हरिसों हेत, बिना बीज के निपजँ खेत।
- नानी फंड करै, दोहितो दंड भरै ।
- नेपॅ की रुख खेड़ा'ई बतादें ।
प-म
- पूत का पग पालणें में ही दीख जा हीं ।
- पत्थर का बाट - जत्ता भी तोलो, घाट-ही-घाट ।
- पीसो हाथ को, भाई साथ को ही काम आवै ।
- बहुआं हाथ चोर मरावै, चोर बहू का भाई ।
- बाप ना मारी मांखी, बेटो तीरंदाज ।
- बाबो सगळां'नॅ लड़ॅ, बाबॅ'न कुण लड़ॅ ।
- बिना बुलाया पावणा, घी घालूं कॅ तेल ।
- बिना रोऍ तो मा'ई बोबो कोनी दे ।
- बीन कॅ'ई लाळ पड़ँ जणा बराती के करँ ।
- बैठणो छाया मैं हुओ भलां कैर ही, रहणो भायां मैं हुओ भलां बैर ही ।
- भौंकँ जका काटँ कोनी ।
- मन का लाडु खाटा क्यों ।
- म्हानैं घडगी अ'र बेमाता बाड़ मैं बड़गी ।
- मँगो रोवे ऐक बार, सस्तो रोवे सो बार ।
- मानो तो देव नहीं तो भींत को लेव।
- मेवा तो बरसँता भला, होणी होवॅ सो होय ।
- मेह की रुख तो भदवड़ा'ई बता दें ।
य-व
- रांड स्याणी हुवै पण कसम मर्यां फेर ।
- रूप की रोवै करम की खावै ।
- रूपयो होवै रोकड़ी सोरो, आवै सांस, संपत होय तो घर भलो, नहीं भलो परदेस।
- रोता जां बै मरेडां की खबर ल्यावैं ।
श-ह
- सरलायो छूंदरो, बद्दां बंध्यो जाट । मदमाती गूजरी, तीनों वारां बाट ।।
- साबत रैसी सर तो घणाई बससीं घर।
- सात घर तो डाकण भी छोड दिया करै है।
- सावण भलो सूर'यो भादुड़ो पिरवाय, आसोजां मैं पछवा चाली गाडा भर भर ल्याव ।
- हाँसी-हाँसी में हो-ज्यासी खाँसी ।